जयपुर : केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने स्पष्ट किया है कि वक्फ बिल का मकसद मुस्लिम समाज की संपत्ति को संरक्षित और सुरक्षित करना है। उन्होंने यह भी कहा कि इस बिल के तहत सरकार का किसी धार्मिक रीति-रिवाज या धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं होगा। उनका यह बयान वक्फ बिल को लेकर चल रही आशंकाओं को शांत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वक्फ बिल का मूल उद्देश्य अल्पसंख्यकों की धार्मिक संपत्तियों की पहचान, सुरक्षा और प्रबंधन को सुनिश्चित करना है। इससे समाज की संपत्तियां निजी स्वार्थ या अनधिकृत कब्जे से बचाई जा सकेंगी। उन्होंने कहा,
“यह बिल मुस्लिम समाज के हित में है। इससे वक्फ संपत्तियों की ट्रांसपेरेंसी और सुरक्षा सुनिश्चित होगी।”
नेशनल हेराल्ड केस को लेकर जब उनसे ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की भूमिका पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने दो टूक कहा,
“ईडी तो कांग्रेस के शासनकाल में बनी थी, हमने नहीं बनाई। अगर कोई कानून का उल्लंघन करता है, तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे वह कोई भी हो। कानून सब पर समान रूप से लागू होता है।”
उन्होंने कहा कि कुछ लोग कानूनी प्रक्रिया से भागने की कोशिश करते हैं और एजेंसियों पर सवाल उठाकर ध्यान भटकाने की रणनीति अपनाते हैं।
अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि भाजपा सरकार की नीति "सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास" पर आधारित है। उन्होंने मुस्लिम समाज के लोगों से अपील की कि वे इस बिल को लेकर भ्रम में न रहें।
“इस कानून का उद्देश्य सिर्फ संरक्षण और पारदर्शिता है, न कि हस्तक्षेप।”
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि वक्फ बिल किसी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि अल्पसंख्यकों की संपत्ति की सुरक्षा के लिए है। इसके साथ ही उन्होंने कानून की निष्पक्षता को दोहराया और ईडी जैसी एजेंसियों पर लगाए जा रहे राजनीतिक आरोपों को खारिज किया।
यह बयान राजनीतिक और सामाजिक दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब देश में चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है और हर नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
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