कोटा (राजस्थान): शिक्षा नगरी के रूप में पहचान बना चुके कोटा से एक बार फिर दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। छपरा (बिहार) से आए NEET की तैयारी कर रहे 17 वर्षीय छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना छात्र के हॉस्टल के कमरे में हुई।
छात्र ने आत्महत्या से ठीक पहले अपनी बहन को एक इमोशनल मैसेज भेजा, जिसमें उसने किसी को दोषी न ठहराने की बात कही। परिवार को जैसे ही जानकारी मिली, वे कोटा के लिए रवाना हो गए।
पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है जिसमें लिखा था:
“मैं NEET के कारण जान नहीं दे रहा हूं। मेरी अपनी परेशानियां हैं। आप लोगों की कोई गलती नहीं है।”
"मां-पापा और दीदी, मुझे माफ करना। आप सबने बहुत कुछ किया मेरे लिए।"
यह नोट पुलिस और प्रशासन दोनों के लिए एक चेतावनी और संवेदनशील संकेत है।
छात्र मई के पहले सप्ताह में होने वाली NEET परीक्षा की तैयारी कर रहा था और एक प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान में पढ़ रहा था।
माना जा रहा है कि छात्र भीतर से परेशान और अकेलापन महसूस कर रहा था। हालांकि सुसाइड नोट में परीक्षा का सीधा कारण नहीं बताया गया है।
कोटा में हर साल सैकड़ों छात्र देशभर से कोचिंग के लिए आते हैं। लेकिन लगातार बढ़ते आत्महत्या के मामलों ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या कोचिंग हब में छात्रों का मानसिक स्वास्थ्य नजरअंदाज किया जा रहा है?
विशेषज्ञों का कहना है कि छात्रों पर अकादमिक दबाव, अकेलापन और भविष्य की चिंता आत्महत्या जैसे कदम उठाने की वजह बनते हैं। कोचिंग संस्थानों को चाहिए कि वे मेंटल हेल्थ काउंसलिंग और इमोशनल सपोर्ट सिस्टम को मजबूत करें।
यह घटना सिर्फ एक छात्र की आत्महत्या नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर एक सवाल है। क्या हम केवल परीक्षा में नंबरों की होड़ में छात्रों की भावनाओं और मानसिक स्थिति को नजरअंदाज कर रहे हैं?
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