पुष्कर का खबाद हाउस 4 महीने के लिए बंद, सुरक्षा में तैनात रहेंगे 2 पुलिसकर्मी

पुष्कर (अजमेर): राजस्थान के प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटन स्थल पुष्कर में स्थित यहूदी समुदाय के पवित्र स्थल खबाद हाउस को मंगलवार सुबह अगले चार महीने के लिए बंद कर दिया गया है। खबाद हाउस के प्रबंधक हनुमान प्रसाद बाकोलिया ने जानकारी दी कि धर्मगुरु परिवार के पुष्कर से रवाना होते ही यह निर्णय लिया गया। इस दौरान धर्मस्थल में कोई धार्मिक या सामाजिक गतिविधि नहीं होगी, लेकिन सुरक्षा के लिहाज़ से दो पुलिसकर्मी 24 घंटे तैनात रहेंगे।

हर साल गर्मी में होता है बंद

बाकोलिया के अनुसार, यह परंपरा हर वर्ष निभाई जाती है। गर्मी के मौसम में धर्मगुरु और उनका परिवार इजरायल लौट जाता है, और खबाद हाउस को अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाता है। इस दौरान स्थानीय यहूदी या इजरायली पर्यटक किसी सेवा की उम्मीद नहीं कर सकते, क्योंकि कोई भी धार्मिक या सामाजिक गतिविधि संचालित नहीं होती।

सुरक्षा को लेकर विशेष इंतज़ाम

हालांकि, सुरक्षा को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। धर्मस्थल के मुख्य द्वार पर दो पुलिसकर्मी लगातार तैनात रहेंगे ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा व्यवस्था को लेकर उचित दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

स्थानीय लोगों की शुभकामनाएं

पुष्कर के स्थानीय निवासियों ने धर्मगुरु परिवार को शुभकामनाएं देते हुए उनके शीघ्र पुनः लौटने की कामना की है। प्रबंधक ने यह भी स्पष्ट किया कि धर्मस्थल के बंद रहने से किसी स्थानीय व्यक्ति को कोई असुविधा नहीं होगी।

क्या है खबाद हाउस?

खबाद हाउस यहूदी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण कम्युनिटी सेंटर होता है, जहां उन्हें शिक्षा, रोजगार, धार्मिक मार्गदर्शन, और बुजुर्गों के लिए सहायता जैसी सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। यहां विशेषत: यहूदियों और इजरायली नागरिकों के लिए धार्मिक कक्षाएं और व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं।

दुनिया भर में 85 से अधिक देशों में 3,500 से ज्यादा खबाद हाउस मौजूद हैं। भारत में यह केंद्र दिल्ली, मुंबई और पुष्कर में स्थित हैं।


निष्कर्ष:
पुष्कर में खबाद हाउस का अस्थायी रूप से बंद होना एक सामान्य वार्षिक प्रक्रिया है, जो यहूदी परंपरा और गर्मियों की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए की जाती है। हालांकि, सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखना प्रशासन की प्राथमिकता है, ताकि इस अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्थल की गरिमा बनी रहे।
यह फैसला न सिर्फ धार्मिक अनुशासन को दर्शाता है बल्कि भारत और इजरायल के मधुर संबंधों का भी प्रतीक है।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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