नई दिल्ली : राहुल गांधी के सावरकर पर टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से कहा है कि वे ऐतिहासिक तथ्यों को समझे बिना इस तरह के बयान नहीं दे सकते हैं। खासकर, जब यह बयान देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में हो। कोर्ट ने उनके बयान को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया और कहा कि इस प्रकार की टिप्पणियां स्वीकार नहीं की जाएंगी।
जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने राहुल गांधी को चेतावनी दी और कहा, "अगर भविष्य में ऐसी कोई टिप्पणी की गई तो हम स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई करेंगे।" कोर्ट ने यह भी कहा कि राहुल गांधी को महात्मा गांधी और सावरकर जैसे महान नेताओं को लेकर इस प्रकार की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी का संदर्भ भी दिया। जस्टिस दत्ता ने कहा, "क्या आप उन लोगों के बारे में ऐसा कह सकते हैं जिन्होंने हमें आजादी दिलाई? महात्मा गांधी ने सावरकर को सम्मान दिया था और इंदिरा गांधी, आपके दादी ने भी उन्हें पत्र लिखा था।"
यह मामला भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी के बयान से जुड़ा है, जब उन्होंने सावरकर पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि सावरकर अंग्रेजों से पेंशन लेते थे। इस बयान के खिलाफ एक वकील नृपेंद्र पांडे ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद राहुल गांधी के खिलाफ निचली अदालत ने आईपीसी की धारा 153(ए) और 505 के तहत केस दर्ज किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए निचली अदालत की कार्रवाई पर रोक लगा दी। अदालत ने राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को फिलहाल टाल दिया है, लेकिन यह भी कहा कि भविष्य में ऐसे बयान देने से बचना चाहिए।
राहुल गांधी के सावरकर पर दिए गए बयान के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय लिया है। हालांकि, उन्होंने राहुल गांधी को राहत दी है, लेकिन कोर्ट की चेतावनी साफ है कि इतिहास से जुड़ी टिप्पणियां सावधानीपूर्वक की जानी चाहिए, ताकि देश के स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान बना रहे। राहुल गांधी को अब यह समझने की जरूरत है कि उनके बयान न केवल उनके राजनीतिक करियर को प्रभावित कर सकते हैं, बल्कि देश की राजनीति और सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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