जोधपुर : राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने फैमिली कोर्ट पाली में चल रहे एक तलाक मुकदमे पर पत्नी की याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुकदमे की आगे की कार्रवाई पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह फैसला तारा देवी पुत्री कोजाराम दर्जी की ओर से दायर स्थानांतरण याचिका पर सुनाया गया, जिसमें हर पेशी पर पाली आने में असमर्थता जताई गई थी।
तारा देवी, जो इस समय जोधपुर जिले की शेरगढ़ तहसील स्थित अपने पीहर में रह रही हैं, ने पाली में चल रहे तलाक के मुकदमे को जोधपुर ट्रांसफर करने की मांग की थी।
उनकी ओर से एडवोकेट निखिल भंडारी ने अदालत में दलील दी कि महिला के लिए हर बार पाली जाकर पेशी में शामिल होना संभव नहीं है, जिससे उसे मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से कठिनाई हो रही है।
हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि प्रथम दृष्टया महिला की बात में दम है और उसकी असुविधा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इसलिए पाली फैमिली कोर्ट में चल रही तलाक कार्यवाही पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
साथ ही संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई तक अपना पक्ष रखने को कहा गया है।
यह आदेश उन महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण राहत का संकेत है, जो शादी टूटने की स्थिति में अपने ससुराल से दूर रहने को मजबूर होती हैं और अदालत में पेशी के लिए लंबी दूरी तय करने में असमर्थ होती हैं।
हाईकोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि फैमिली केस में महिलाओं की असुविधा को ध्यान में रखते हुए स्थानांतरण याचिकाओं पर संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।
अब जोधपुर हाईकोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई के दौरान तय करेगा कि तलाक केस को स्थायी रूप से पाली से जोधपुर ट्रांसफर किया जाए या नहीं।
तब तक के लिए पाली कोर्ट में इस केस की सभी कार्यवाही स्थगित कर दी गई है।
तलाक मुकदमों में जहां भावनात्मक तनाव पहले से ही अधिक होता है, ऐसे में महिलाओं को अतिरिक्त परेशानियों से बचाने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट का यह निर्णय एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
यह आदेश न केवल न्याय में सहूलियत का संदेश देता है बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक अहम पहल माना जा रहा है।
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