बाड़मेर (राजस्थान) : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद अटारी-वाघा सीमा चौकी बंद होने से बाड़मेर निवासी शैतान सिंह की बहुप्रतीक्षित शादी अधर में लटक गई। 25 वर्षीय शैतान सिंह अपनी शादी के लिए परिवार सहित अटारी पहुंचे थे, लेकिन सीमा बंद होने के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ा।
बाड़मेर जिले के इंद्रोई गांव के निवासी शैतान सिंह की सगाई पाकिस्तान के अमरकोट शहर की 21 वर्षीय केसर कंवर से करीब चार साल पहले हुई थी। लंबे प्रयासों के बाद इस साल 18 फरवरी को शैतान सिंह, उनके पिता और भाई को पाकिस्तान का वीजा मिला था।
परिवार 23 अप्रैल को अटारी सीमा के लिए रवाना हुआ था, लेकिन 24 अप्रैल को सीमा बंद कर दी गई, जिससे उनकी वर्षों की मेहनत धरी की धरी रह गई।
हालांकि, शैतान सिंह ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है। उनका वीजा 12 मई तक वैध है और वे आशा कर रहे हैं कि तब तक हालात सुधरेंगे। शैतान सिंह ने कहा,
"हमने इस दिन का चार साल से इंतजार किया है। आतंकियों ने जो किया वह बेहद गलत है। अब हमारी शादी अटक गई है, पर उम्मीद है कि सब जल्द ठीक होगा।"
शैतान सिंह सोढ़ा राजपूत समाज से आते हैं, जिनकी पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भी बड़ी आबादी है। परंपरा अनुसार एक ही गौत्र में विवाह वर्जित है, इसलिए सोढ़ा राजपूत अक्सर भारत के बाड़मेर, जैसलमेर और बीकानेर में भी रिश्ते तलाशते हैं। इसी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि में शैतान सिंह और केसर कंवर का विवाह तय हुआ था।
सिंध और थार के बीच सदियों पुराना रोटी-बेटी का संबंध है। अकाल या अन्य कठिन समय में थार के लोग सिंध की ओर पलायन करते थे। ऐसे में कई परिवारों के सदस्य आज भी भारत और पाकिस्तान में विभाजित हैं। शैतान सिंह का मामला भी इसी ऐतिहासिक सांस्कृतिक संबंध का उदाहरण है।
शैतान सिंह की अधूरी रह गई शादी, भारत-पाकिस्तान के बीच बदलते हालात और पारंपरिक सांस्कृतिक रिश्तों की नाजुकता को उजागर करती है। अब देखना होगा कि क्या हालात सुधरते हैं और शैतान सिंह अपनी दुल्हन के साथ नया जीवन शुरू कर पाते हैं या नहीं।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.