भारत-फ्रांस के बीच 63,000 करोड़ रुपए में राफेल मरीन विमान डील, 26 विमान होंगे नेवी में शामिल

नई दिल्ली: भारत और फ्रांस के बीच राफेल मरीन विमानों की एक बड़ी डील साइन हो गई है। इस डील के तहत भारत 26 राफेल मरीन विमान खरीदेगा, जिसमें 22 सिंगल सीटर और 4 डबल सीटर विमान शामिल हैं। यह डील लगभग 63,000 करोड़ रुपए की है और इसे भारत की सबसे बड़ी रक्षा डील माना जा रहा है।

राफेल मरीन की विशेषताएं और जरूरत

राफेल मरीन विमानों में वह सारी तकनीकी विशेषताएं हैं, जो भारतीय नौसेना के लिए आवश्यक हैं। ये विमान परमाणु बम दागने की क्षमता से लैस होंगे, जिससे भारत की रक्षा क्षमता को और अधिक मजबूती मिलेगी। इन विमानों की डिलीवरी 2028-29 में शुरू होगी और 2031-32 तक सभी विमान भारत पहुंच जाएंगे।

राफेल-एम का डिजाइन खास तौर पर विमान वाहक पोत (Aircraft Carrier) के लिए तैयार किया गया है, जो INS विक्रांत जैसे पोतों पर तैनात किया जाएगा। इन विमानों में लंबी उड़ान भरने की क्षमता, एंटी शिप स्ट्राइक और न्यूक्लियर हथियार लॉन्च करने की क्षमता होगी।

फ्रांस से पहले भी राफेल खरीद चुका भारत

भारत ने पहले फ्रांस से 36 राफेल जेट खरीदे थे, जो भारतीय वायुसेना में 2022 में शामिल किए गए थे। इस नई डील के साथ, भारत की रक्षा क्षमता और अधिक बढ़ेगी, और राफेल मरीन विमान भारतीय नौसेना को और भी ताकतवर बनाएंगे।

राफेल-एम की ताकत

राफेल-एम (मरीन) विमानों में शक्तिशाली एंटी शिप मिसाइलें और हवा से हवा, हवा से जमीन पर मार करने की क्षमता होगी। इसके अलावा, यह विमान पनडुब्बियों को ट्रैक करने वाले रडार से लैस होंगे। इन विमानों की रेंज 3700 किलोमीटर तक होगी और यह हवा में ही रीफ्यूलिंग करने में सक्षम होंगे, जिससे इनकी रेंज और बढ़ जाएगी।

भारत की नौसेना को मिलेगा अत्याधुनिक विमान

भारत की नौसेना के पास INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य जैसे दो प्रमुख विमान वाहक पोत हैं, जिन पर पहले मिग-29 विमान तैनात थे। लेकिन इन विमानों की रख-रखाव की बढ़ती लागत और सीमित उपलब्धता को देखते हुए, भारतीय नौसेना ने राफेल-एम विमानों को खरीदने का फैसला लिया है।

राफेल-एम क्यों है जरूरी?

राफेल-एम की एडवांस रडार टेक्नोलॉजी, ज्यादा हथियार ले जाने की क्षमता, और बेहतर सेंसर इसे मिग-29 से कहीं ज्यादा बेहतर बनाते हैं। इसके अलावा, भारत के वायुसेना के पास पहले से राफेल विमान हैं, इसलिए इसके उपकरणों और रखरखाव के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण में कोई समस्या नहीं आएगी।

भारत और फ्रांस के रिश्तों में मजबूती

यह डील भारत और फ्रांस के बीच रक्षा संबंधों को और भी मजबूत करने का एक अहम कदम है। भारत ने फ्रांस के राफेल मरीन को अपनी नौसेना की ताकत बढ़ाने के लिए चुना है, जबकि अमेरिका से बोइंग-18 को लेकर कुछ अड़चनें आई थीं। अंततः, फ्रांस ने भारत के प्रस्ताव को स्वीकार कर दिया, जिससे यह डील पूरी हो सकी।

निष्कर्ष

यह डील भारतीय नौसेना के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जो भारत की समुद्री ताकत को वैश्विक स्तर पर और भी बढ़ाएगी। राफेल मरीन विमानों की आधुनिक तकनीकी और लंबी रेंज भारत को समुद्र में एक मजबूत स्थिति प्रदान करेगी। इसके अलावा, यह सौदा भारत और फ्रांस के रिश्तों को और भी मजबूत करेगा और सुरक्षा के क्षेत्र में एक अहम मील का पत्थर साबित होगा।

Written By

Monika Sharma

Desk Reporter

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