राजस्थान : के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस साल 3 मई को अपना जन्मदिन नहीं मनाएंगे। हर वर्ष की तरह इस बार भी पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने उनके जन्मदिवस के लिए तैयारियां शुरू कर दी थीं, लेकिन 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने गहलोत को इतना व्यथित कर दिया कि उन्होंने जश्न मनाने से इंकार कर दिया।
गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले ने उन्हें अंदर तक हिला दिया है।
“जो लोग परिवार के साथ खुशी के पल बिताने के लिए गए थे, उनके लिए यह यात्रा जीवन भर का ग़म बन गई।”
उन्होंने कहा कि वह पीड़ित परिवारों की पीड़ा से बेहद व्यथित हैं, और इस गहरे दुःख के बीच किसी भी तरह का उत्सव करना मानवीय दृष्टिकोण से सही नहीं होगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने सभी समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की है कि यदि उन्होंने इस दिन कोई कार्यक्रम तय कर रखा है, तो उसे रक्तदान शिविर, चिकित्सा सेवा या समाज सेवा तक ही सीमित रखें। उन्होंने कहा कि यह कार्य दिवंगत आत्माओं के प्रति उनकी श्रद्धांजलि और एकजुटता का प्रतीक होंगे।
गहलोत ने अपने संदेश में कहा कि इस दुःखद घड़ी में पूरा देश शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ा है। यह समय जश्न का नहीं, बल्कि सम्वेदनशीलता, शांति और सहानुभूति दिखाने का है।
राजनीतिक हस्तियों के लिए यह एक सशक्त संदेश है कि वे संवेदनशील मुद्दों पर जनता की भावनाओं के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं। अशोक गहलोत का यह कदम राजनीतिक शालीनता और मानवीयता का प्रतीक है।
Ashok Gehlot ने एक मिसाल पेश की है — जब राजनीति से ऊपर उठकर एक नेता जनता के दुःख में सहभागी बनता है। पहलगाम हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों के सम्मान में उनका जन्मदिन न मनाने का फैसला, एक संवेदनशील और ज़िम्मेदार नेता की पहचान को दर्शाता है।
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