कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माकपा के पूर्व विधायक ने कहा, "आज मजदूर वर्ग जिस संकट से गुजर रहा है, उसकी वजह केंद्र सरकार की पूंजीपति समर्थक नीतियां हैं। श्रम कानूनों में बदलाव से मजदूरों की सुरक्षा और सम्मान पर चोट पहुंची है। भाजपा की नीति केवल बड़े उद्योगपतियों के हितों को साधने में लगी है।"
सीकर के प्रमुख चौराहों से होते हुए मजदूरों की रैली शहर के मुख्य स्थल तक पहुंची, जहां सभा आयोजित की गई। इस दौरान मजदूरों ने रोजगार सुरक्षा, न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी, ठेका प्रथा समाप्त करने, सामाजिक सुरक्षा देने और श्रमिक कल्याण बोर्ड को सक्रिय करने की मांग की।
प्रदर्शन के दौरान "मजदूर एकता जिंदाबाद", "श्रमिकों का शोषण बंद करो", "केंद्र सरकार हाय-हाय" जैसे नारों से वातावरण गूंज उठा। नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मजदूर हितों की अनदेखी जारी रखी तो देशभर में बड़ा जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
पूर्व विधायक ने कहा, "मजदूर इस देश की रीढ़ हैं। अगर यही वर्ग कमजोर होगा तो राष्ट्र की नींव भी कमजोर होगी। हमारी पार्टी हर मजदूर की लड़ाई लड़ेगी, चाहे वह फैक्ट्री में काम करता हो या खेतों में।"
श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा को अनिवार्य किया जाए
मनरेगा के कार्य दिवस और मजदूरी दोनों में बढ़ोतरी हो
निजीकरण पर रोक लगाई जाए
महिला मजदूरों को समान अधिकार मिले
ट्रेड यूनियनों की स्वतंत्रता बहाल की जाए
माकपा नेताओं ने ऐलान किया कि मजदूरों के हक की लड़ाई को सड़क से संसद तक उठाया जाएगा। यह केवल विरोध नहीं बल्कि हक की मांग है, जिसे लेकर पार्टी और मजदूर संगठन लगातार सक्रिय रहेंगे।
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