सीकर : में संभाग और नीमकाथाना जिले की बहाली की मांग को लेकर अभिभाषक संघ के वकीलों का आंदोलन गुरुवार को 63वें दिन भी जारी रहा। विरोध प्रदर्शन का तरीका इस बार बेहद अनोखा रहा—वकील 'ढोल बजाओ आंदोलन' के तहत ढोल-नगाड़ों के साथ सीकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। उनका कहना था कि यह प्रदर्शन सोई हुई सरकार को जगाने के लिए है।
धरनास्थल पर वकीलों ने 'ढोल बजाओ, सरकार जगाओ' के नारे लगाते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। कलेक्ट्रेट के बाहर ढोल-नगाड़ों की गूंज ने न केवल प्रशासन का ध्यान खींचा बल्कि आम जनता को भी इस आंदोलन की ओर आकर्षित किया।
सीकर अभिभाषक संघ के अध्यक्ष ने कहा, "हम लगातार शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार हमारी मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रही है। सीकर संभाग और नीमकाथाना जिले की बहाली हमारे क्षेत्र के विकास और न्याय व्यवस्था की मजबूती के लिए जरूरी है।"
सीकर को फिर से संभाग का दर्जा दिया जाए
नीमकाथाना को अलग जिला घोषित किया जाए
प्रशासनिक व्यवस्थाओं में पारदर्शिता लाई जाए
अधिवक्ताओं के हित में निर्णय लिए जाएं
इस विरोध प्रदर्शन में वकीलों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों और व्यापारिक संघों ने भी एकजुटता दिखाई। कई वक्ताओं ने मंच से सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि मांगे जल्द नहीं मानी गईं तो आंदोलन को व्यापक स्तर पर फैलाया जाएगा।
वकीलों का यह आंदोलन पिछले दो महीनों से लगातार अलग-अलग तरीकों से चल रहा है—काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन, मशाल रैली, मौन व्रत और अब ढोल बजाकर प्रदर्शन। अभिभाषक संघ ने साफ कहा है कि मांगें पूरी होने तक आंदोलन नहीं रुकेगा।
कलेक्ट्रेट के बाहर ढोल बजाते वकीलों की तस्वीरें
आंदोलन स्थल पर वकीलों की भीड़
नारों की तख्तियां और बैनर
वकीलों का यह आंदोलन अब प्रतीकात्मक से जन समर्थन की ओर बढ़ रहा है। प्रशासनिक उदासीनता के खिलाफ वकीलों की यह सतत मुहिम न केवल क्षेत्रीय मांगों की आवाज़ बुलंद कर रही है, बल्कि लोकतांत्रिक विरोध की मिसाल भी पेश कर रही है।
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