अजमेर : शहर के होटल नाज में लगी भीषण आग के बाद शुक्रवार को मारे गए चार लोगों के शवों को पोस्टमॉर्टम के बाद उनके परिजनों को सौंप दिया गया। इनमें एक महिला, एक बच्चा और दो अन्य पुरुष शामिल हैं। परिजनों ने शव लेने के दौरान गहरा दुख और रोष व्यक्त किया और आरोप लगाया कि होटल में आग से बचाव के कोई इंतजाम नहीं थे, जिससे यह हादसा और बड़ा बन गया।
परिजनों ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह हादसा नहीं बल्कि लापरवाही का नतीजा है। होटल में फायर अलार्म, इमरजेंसी एक्जिट, अग्निशमन यंत्र जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं थीं।” उन्होंने प्रशासन और पुलिस से मांग की कि होटल मालिक और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो।
घटनास्थल पर शुक्रवार को एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) टीम ने पहुंचकर विस्तृत जांच की। टीम ने होटल के तीनों फ्लोर से सैंपल एकत्र किए, और यह जानने की कोशिश की कि आग किस वजह से लगी और इतनी तेजी से कैसे फैली। रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय होगा कि आग शॉर्ट सर्किट से लगी थी या कोई और वजह थी।
जांच अधिकारी का कहना है कि, “प्रारंभिक जांच में होटल के पास अग्निशमन से संबंधित एनओसी नहीं पाई गई है।” साथ ही होटल में ओवरलोडिंग और सिंगल एंट्री/एग्जिट पॉइंट जैसे गंभीर खामियां भी पाई गई हैं। ये सभी बातें हादसे को और घातक बनाने का कारण बनीं।
हादसे में जिन चार लोगों की जान गई, उनमें एक 25 वर्षीय महिला, 5 वर्षीय बच्चा और दो पुरुष (35 और 40 वर्षीय) शामिल हैं। चारों लोग अलग-अलग राज्यों से अजमेर घूमने आए थे और होटल नाज में ठहरे हुए थे।
स्थानीय नागरिकों और परिजनों का कहना है कि अजमेर जैसे पर्यटन स्थल पर फायर सेफ्टी मानकों की धज्जियां उड़ाना प्रशासन की विफलता दर्शाता है। उन्होंने जिला प्रशासन से होटल के लाइसेंस की जांच, अन्य होटलों का निरीक्षण और दोषियों को कठोर सजा देने की मांग की है।
अजमेर के होटल नाज में हुए इस हादसे ने फायर सेफ्टी को लेकर लापरवाही और प्रशासनिक चूक की पोल खोल दी है। अब सवाल यह है कि क्या जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी, या यह मामला भी कागजी जांच और फाइलों में दफन होकर रह जाएगा।
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