जयपुर/उदयपुर : कांग्रेस की सीनियर लीडर और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास का गुरुवार शाम निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रही थीं। उनका राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक क्षेत्र में योगदान अद्वितीय रहा है। गिरिजा व्यास ने न केवल केंद्रीय स्तर पर मंत्रालय संभाले बल्कि राज्य में भी कांग्रेस की मज़बूत स्तंभ के रूप में काम किया।
गिरिजा व्यास का बचपन उदयपुर में बीता। वे और उनकी मां एक ही स्कूल में पढ़ती थीं। एक पुराने साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि वो पढ़ाई में बहुत होशियार थीं, लेकिन अक्सर परीक्षाओं में उन्हें कम नंबर मिलते थे। "होशियार थी, लेकिन नंबर उतने नहीं आते थे, जितनी मेहनत करती थी," ऐसा वे खुद कहा करती थीं।
गिरिजा व्यास को राजनीति में आने की प्रेरणा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिली। इंदिरा जी ने उनके विचार, वक्तृत्व और सामाजिक सरोकारों को देखकर कहा था—
"तुममें टैलेंट है, राजनीति में आओ, समाज को ज़रूरत है तुम्हारी।"
राजस्थान सरकार में मंत्री रहते हुए गिरिजा व्यास ने एक साथ 17 विभागों का कार्यभार संभाला था। इसके अलावा वे राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष भी रहीं और महिला सशक्तिकरण के लिए कई अहम फैसले लिए। उनके कार्यकाल को महिला अधिकारों के विस्तार के लिए मील का पत्थर माना जाता है।
राजनीति के अलावा गिरिजा व्यास का साहित्य से भी गहरा जुड़ाव था। वे एक शिक्षिका भी रही हैं और उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी की थी। उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हुईं और वे कई बार कवि सम्मेलनों में भी आमंत्रित की गईं।
डॉ. गिरिजा व्यास ने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षता भी संभाली। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई महत्वपूर्ण चुनावी मोर्चों पर सफलता हासिल की। वे कांग्रेस की उन चेहरों में से थीं, जो विचारधारा, कार्यक्षमता और ईमानदारी का प्रतीक मानी जाती थीं।
डॉ. गिरिजा व्यास का निधन भारतीय राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन महिलाओं, युवाओं और समाज के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने न केवल राजनीति में, बल्कि शिक्षा और साहित्य में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी। वे सच्चे अर्थों में एक मल्टी-डायमेंशनल पब्लिक फिगर थीं।
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