जयपुर : पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. गिरिजा व्यास की अंतिम यात्रा शुक्रवार सुबह उनके निवास से शुरू हुई। इस भावुक क्षण में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनकी अर्थी को कंधा देकर श्रद्धांजलि अर्पित की। अंतिम संस्कार जयपुर के अशोक नगर मोक्षधाम में किया गया।
गिरिजा व्यास न केवल एक कुशल राजनेता थीं, बल्कि एक संवेदनशील समाजसेवी और विदुषी शिक्षिका भी रहीं। उनके निधन से कांग्रेस पार्टी ही नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर है।
एक समय ऐसा भी आया जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने व्यक्तिगत रूप से उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा था, लेकिन गिरिजा व्यास ने सादगी और सिद्धांतों के साथ जवाब दिया कि "मैं तब ही चुनाव लड़ूंगी जब मेरी आत्मा इसकी अनुमति देगी।" इस निर्णय ने उन्हें एक अलग पहचान दिलाई—एक ऐसी नेता जो सत्ता से पहले विचार और समाज को प्राथमिकता देती थी।
गिरिजा व्यास के निवास पर सुबह से ही राजनीतिक हस्तियों, कांग्रेस कार्यकर्ताओं और आम लोगों की भीड़ जुटी रही। सभी ने पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गिरिजा व्यास को याद करते हुए कहा—
"गिरिजा दीदी मेरे लिए केवल एक वरिष्ठ नेता नहीं थीं, बल्कि एक मार्गदर्शक, सलाहकार और प्रेरणास्रोत भी थीं। उनके सिद्धांत और विचार आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनेंगे।"
गिरिजा व्यास ने राजनीति में महिला सशक्तिकरण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया। वे राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं और केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में 17 विभागों की ज़िम्मेदारी भी निभाई।
गिरिजा व्यास की अंतिम यात्रा केवल एक राजनेता के शरीर को विदा देना नहीं थी, बल्कि एक विचार, एक संवेदनशील नेतृत्व और एक नैतिक राजनीति के युग का समापन भी था। उनके विचार, भाषण और सादगी की छाप हमेशा देश की राजनीतिक चेतना में जीवित रहेगी।
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