झुंझुनू (राजस्थान) : राजस्थान की राजनीति एक बार फिर लाल डायरी कांड को लेकर गर्मा गई है। पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने शुक्रवार को झुंझुनू के डीटीओ ऑफिस के बाहर डंपर मालिकों के धरने को संबोधित करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी पर भ्रष्टाचार में मिलीभगत का बड़ा आरोप लगाया।
राजेंद्र गुढ़ा ने कहा,
"भ्रष्टाचार के पैसे का सबसे बड़ा हिस्सा अशोक गहलोत लेते थे। महेश जोशी अकेले नहीं थे, वे सिर्फ हिस्सेदार थे। दो हिस्सों में पैसा बंटता था।"
गुढ़ा ने दावा किया कि उन्होंने खुद 10 साल तक गहलोत के साथ सरकार में काम किया है और उन्हें पता है कि किस तरह से भ्रष्टाचार से पैसे का अंबार बनता था और कैसे उसका बंटवारा होता था।
गुढ़ा के आरोप केवल व्यक्तिगत नहीं हैं, बल्कि ED (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच में भी इस दिशा में कई तथ्य सामने आए हैं।
जांच में यह सामने आया है कि जल जीवन मिशन (JJM) के ठेकेदारों से टेंडर राशि का 2-3% कमीशन लिया जाता था। यह पैसा महेश जोशी और उनके करीबी संजय बदया के माध्यम से वसूला जाता था।
ED का आरोप है कि इस नेटवर्क के जरिए ठेकेदारों को पक्ष में निर्णय दिलवाए जाते थे और अनियमितताओं को छुपाने के एवज में रिश्वत ली जाती थी।
राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि,
"भ्रष्ट और बेईमान लोगों पर कार्रवाई होती है। इसमें देर हो सकती है, लेकिन अन्याय नहीं होगा। जो खाएंगे, वे बाहर जरूर आएंगे।"
उन्होंने यह भी जोड़ा कि महेश जोशी की पत्नी के निधन के समय वे रिमांड पर थे, जिससे जनता के सामने स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए कि सच्चाई क्या है।
गुढ़ा के यह बयान ऐसे समय पर आए हैं जब राजस्थान में नई सरकार की पकड़ मजबूत हो रही है और भ्रष्टाचार के मुद्दे एक बार फिर से गर्म हो चुके हैं।
लाल डायरी प्रकरण, जिसकी वजह से गुढ़ा को मंत्री पद से हटाया गया था, अब फिर से सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के बीच राजनीतिक हथियार बन सकता है।
पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के इन गंभीर आरोपों से राजस्थान की सियासत में नई हलचल मच सकती है। यदि ईडी की जांच में और सबूत सामने आए, तो यह मामला गहलोत और कांग्रेस के लिए भारी पड़ सकता है। फिलहाल, इस बयान पर गहलोत और जोशी की प्रतिक्रिया का इंतजार है।
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