जयपुर : केंद्र सरकार द्वारा आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़े शामिल करने के फैसले के बाद, कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को राजनीतिक तौर पर भुनाने की रणनीति तैयार कर ली है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने सभी राज्य कांग्रेस समितियों (PCC) को एक सर्कुलर जारी करते हुए, स्थानीय स्तर पर जाति जनगणना को लेकर अभियान तेज करने का आदेश दिया है।
30 अप्रैल को मोदी कैबिनेट द्वारा जाति जनगणना को मंजूरी देने के बाद कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर सक्रियता बढ़ा दी है। पार्टी का मानना है कि जातिगत आंकड़े न केवल आरक्षण नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में सहायक होंगे, बल्कि इससे वंचित वर्गों की सही पहचान भी संभव होगी।
कांग्रेस ने अपने सर्कुलर में कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 15(5) के अंतर्गत सामाजिक न्याय और शिक्षा एवं रोजगार में आरक्षण की सही रूपरेखा तैयार करने के लिए जातिगत जनगणना आवश्यक है। पार्टी का यह भी कहना है कि कई सरकारी योजनाओं और निजी संस्थानों में प्रवेश जैसी नीतियों का लाभ तभी प्रभावी होगा, जब आंकड़े सटीक और समावेशी हों।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार से मांग की है कि जाति जनगणना को पारदर्शी, वैज्ञानिक और समयबद्ध तरीके से किया जाए। इसके साथ ही संसद में इस मुद्दे पर बहस आयोजित करने और आगामी बजट में इसके लिए वित्तीय प्रावधान किए जाने की मांग की गई है।
AICC द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि सभी PCC अपने-अपने राज्यों में सामाजिक-राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए रैलियां, सम्मेलन और जनजागरूकता अभियान चलाएं। इन सभी गतिविधियों की ऑडियो-विजुअल रिपोर्टिंग करके AICC को भेजना अनिवार्य किया गया है।
बता दें कि 30 अप्रैल, बुधवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की थी कि आगामी जनगणना में जातिगत आंकड़े भी एकत्र किए जाएंगे। सरकार ने इसे सामाजिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा देने और नीति निर्माण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम बताया।
जाति जनगणना को लेकर केंद्र और विपक्ष दोनों की सक्रियता यह दर्शाती है कि आने वाले चुनावों में यह मुद्दा महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। जहां सरकार इसे नीति सुधार का हिस्सा बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे सामाजिक न्याय और राजनीतिक जनसमर्थन के रूप में इस्तेमाल करने की दिशा में बढ़ रही है।
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.