जोधपुर — रेलवे के पार्किंग और पे-एंड-यूज़ (Pay-and-Use) शौचालय संचालन से जुड़े कुल 8 ठेकों में 64 लाख रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। सीबीआई ने इस घोटाले में 6 ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इसमें जोधपुर के राइका बाग स्टेशन के एक प्रमुख ठेकेदार के खिलाफ पहले से चल रही 21 लाख रुपये की धोखाधड़ी की जांच भी शामिल है।
सीबीआई के अधिकारियों के अनुसार, ठेकेदारों ने रेलवे से फर्जी दस्तावेजों के जरिए भुगतान हासिल किए। पार्किंग फीस और पे-एंड-यूज़ टॉयलेट की वसूली में कम रिपोर्टिंग करके, लाखों रुपये का नुकसान रेलवे को पहुंचाया गया।
राइका बाग स्टेशन का ठेकेदार (21 लाख का फ्रॉड)
बीकानेर मंडल में स्थित दो स्टेशन के ठेकेदार
नागौर स्टेशन पर तैनात ठेकेदार
अजमेर और पाली स्टेशनों के संबंधित ठेकेदार
जोधपुर के एक और स्टेशन पर संचालित ठेकेदार
इन सभी पर रेलवे के राजस्व से 64 लाख रुपये से अधिक की हेराफेरी का आरोप है।
सूत्रों के मुताबिक, रेलवे के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत की भी जांच की जा रही है। सीबीआई टीम ने संबंधित कार्यालयों और स्टेशनों से दस्तावेज जब्त कर लिए हैं और कई अधिकारियों से पूछताछ जारी है।
CBI ने अपने बयान में कहा है कि वे संबंधित स्टेशन परिसरों से CCTV फुटेज, बैंक ट्रांजैक्शन डिटेल्स और डिजिटल भुगतान रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि ठेकेदारों ने कितनी राशि वसूली और रेलवे को कितनी दिखाई।
रेलवे बोर्ड ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उत्तर पश्चिम रेलवे से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।
रेलवे द्वारा ‘Pay-and-Use’ स्कीम के तहत शौचालयों का संचालन निजी ठेकेदारों को दिया जाता है, जो यात्रियों से मामूली शुल्क लेकर सुविधा मुहैया कराते हैं। इसमें अक्सर राजस्व में हेराफेरी की आशंका बनी रहती है, जिस पर अब CBI ने सख्त रवैया अपनाया है।
रेलवे के ठेकों में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर यह घोटाला एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। अगर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो यात्रियों की सुविधाएं और रेलवे की साख दोनों को नुकसान पहुंच सकता है।
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