जयपुर, राजस्थान: राजस्थान में पिछले सात दिनों से दो प्रमुख भर्ती परीक्षाओं की तिथियों में बदलाव की मांग एक बार फिर तेज हो गई है। इनमें आरएएस मुख्य परीक्षा 2024 और फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती 2024 शामिल हैं। आरएएस मुख्य परीक्षा की तिथि आगे बढ़ाने की मांग को लेकर अभ्यर्थी पिछले पांच दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं, जबकि फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा की तिथि आगे बढ़ाने को लेकर भी विभाग पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है, जिससे यह मामला लगातार गरमाता जा रहा है।
यह पहली बार नहीं है जब राजस्थान में अभ्यर्थी भर्ती परीक्षाओं की तिथि आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि पूर्व में भी इन दोनों परीक्षाओं (फर्स्ट ग्रेड परीक्षा और आरएएस मुख्य परीक्षा) की तिथियां अभ्यर्थियों के दबाव में आकर बढ़ाई जा चुकी हैं। 2025 में एक बार फिर इन परीक्षाओं की तिथियों को लेकर विद्यार्थियों को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा है।
फर्स्ट ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा को लेकर पूर्व में भी बड़े आंदोलन हो चुके हैं।
आरएएस मुख्य परीक्षा को लेकर भी पिछले कुछ वर्षों में कई बार तिथियों में बदलाव देखने को मिला है:
परीक्षाओं की तारीखें बढ़ने से पूरा रिक्रूटमेंट साइकिल प्रभावित होता है। राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के पूर्व सचिव राजेंद्र भानावत का कहना है कि RPSC की परीक्षा स्थगित करने से पूरा रिक्रूटमेंट साइकिल डिस्टर्ब होता है। अगर एक भर्ती परीक्षा की तारीख बढ़ती है, तो दूसरे अभ्यर्थी भी दबाव बनाने लगते हैं। इसलिए RPSC को काफी सजगता से परीक्षा की तारीखों का ऐलान करना चाहिए और नोटिफिकेशन के साथ ही परीक्षा की तारीख तय कर देनी चाहिए।
उनका यह भी मानना है कि UPSC भी प्री और मेंस के बीच 4-5 महीने का समय देती है, इसलिए विद्यार्थियों को भी तय समय में अपनी तैयारी करनी चाहिए। उनका सुझाव है कि प्री परीक्षा का परिणाम आए बिना भी अगर वे मेंस की तैयारी करेंगे तो बेहतर होगा।
भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ियों के खिलाफ आंदोलन करने वाले मनोज मीणा का कहना है, "हम चाहते हैं कि परीक्षाएं समय पर हों। लेकिन आयोग को सिर्फ परीक्षा कराने में ही नहीं, बल्कि परिणाम जारी करने में भी जल्दी होनी चाहिए। सबसे जरूरी है कि भर्ती परीक्षाओं का कैलेंडर जारी किया जाए।"
वर्तमान में चल रही भूख हड़ताल और प्रदर्शन यह दर्शाते हैं कि छात्रों का असंतोष अभी भी बरकरार है और वे परीक्षाओं की शुचिता, समयबद्धता और पारदर्शिता को लेकर गंभीर हैं। सरकार और आयोग के लिए यह एक चुनौती है कि वे इस गतिरोध को कैसे दूर करते हैं।
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