नई दिल्ली, भारत: राजधानी दिल्ली से राष्ट्रीय सुरक्षा को हिला देने वाली एक बड़ी खबर सामने आई है। एक प्रमुख कांग्रेस नेता के पूर्व पर्सनल असिस्टेंट (PA) शकूर खान को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया है। मंगलवार को जब शकूर खान को कोर्ट में पेश किया गया, तो जांच एजेंसियों ने उनके मोबाइल फोन से पाकिस्तान हाई कमीशन के एक अधिकारी 'दानिश' से संदिग्ध और संवेदनशील कनेक्टिविटी के चौंकाने वाले सबूत पेश किए। कोर्ट ने फिलहाल आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है, जबकि एजेंसियां इस हाई-प्रोफाइल मामले की परतें खोलने में जुटी हुई हैं।
खुफिया एजेंसियों की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि शकूर खान के मोबाइल से कुछ ऐसी चैट्स और कॉल डिटेल्स मिली हैं, जो सीधे तौर पर उन्हें पाकिस्तान हाई कमीशन के सदस्य दानिश से जोड़ती हैं। यह कनेक्शन जासूसी के आरोपों को और भी गंभीर बना रहा है, क्योंकि यह एक ऐसे नेटवर्क की ओर इशारा करता है जो भारत के संवेदनशील आंतरिक मामलों और शायद महत्वपूर्ण जानकारियों को पड़ोसी मुल्क तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा था। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि शकूर खान किस प्रकार की जानकारी साझा कर रहे थे और उनके निशाने पर कौन सी गोपनीय सूचनाएं थीं।
मंगलवार को जब शकूर खान को कोर्ट में पेश किया गया, तो जांच अधिकारियों ने फिलहाल उनकी आगे की पुलिस रिमांड की मांग नहीं की। यह कदम एजेंसी के मामले में मौजूदा सबूतों की मजबूती को दर्शाता है, या यह एक रणनीतिक फैसला हो सकता है ताकि न्यायिक हिरासत में रहते हुए बाहर के संपर्कों को तोड़ा जा सके। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को तुरंत जेल भेज दिया।
अदालत में एजेंसियों ने स्पष्ट किया है कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है और यदि भविष्य में शकूर खान से आगे की पूछताछ या जांच की आवश्यकता हुई, तो उन्हें जेल से रिमांड पर लिया जा सकता है। इसका मतलब है कि जांच अभी भी जारी है और आने वाले दिनों में इस मामले में और भी गिरफ्तारियां या खुलासे होने की संभावना है।
शकूर खान का एक बड़े कांग्रेस नेता का पूर्व PA होना इस मामले को राजनीतिक रंग दे रहा है। यह घटनाक्रम विपक्षी दलों के लिए सरकार पर हमला करने का मौका बन सकता है, वहीं सत्ता पक्ष इस मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के रूप में प्रस्तुत कर सकता है। इस गिरफ्तारी ने निश्चित रूप से राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।
यह मामला भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती पेश करता है। किसी राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्ति का जासूसी के आरोप में शामिल होना, देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। खुफिया एजेंसियां और कानून प्रवर्तन एजेंसियां अब इस नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने की कोशिश करेंगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि इसमें और कौन-कौन शामिल हो सकते हैं और क्या इस तरह के अन्य नेटवर्क भी सक्रिय हैं।
पूरे देश की निगाहें अब इस संवेदनशील मामले पर टिकी हुई हैं, और उम्मीद है कि जांच एजेंसियां जल्द ही इस जासूसी रैकेट का पूरी तरह से पर्दाफाश करेंगी।
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