गोंडा: ज्येष्ठ माह के पांचवें और अंतिम मंगलवार को गोंडा भक्तिमय हो उठा। सुबह से ही हनुमान मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहा और जगह-जगह विशाल भंडारों का आयोजन किया गया, जहां हजारों श्रद्धालुओं ने पूड़ी, सब्जी, चावल, कढ़ी, छोले और हलवे का प्रसाद ग्रहण किया। कड़ी धूप के बावजूद भक्तों का उत्साह चरम पर था और आस्था का यह अनूठा संगम देखने लायक था।
हनुमान मंदिरों में उमड़ी भीड़, भक्तों ने लिया आशीर्वाद
ज्येष्ठ माह के अंतिम मंगलवार को 'बड़ा मंगल' के नाम से भी जाना जाता है और इसका विशेष धार्मिक महत्व है। इसी क्रम में गोंडा के सभी हनुमान मंदिरों में भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। श्रद्धालुओं ने बजरंगबली के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया और हनुमान चालीसा का पाठ कर अपनी श्रद्धा व्यक्त की। कई भक्तों ने इस अवसर पर व्रत भी रखा।
प्रमुख हस्तियों और सामाजिक संस्थाओं ने किया भंडारों का आयोजन
इस पावन अवसर पर जिले में कई स्थानों पर विशाल भंडारों का आयोजन किया गया। झंझरी ब्लॉक में ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि आशीष मिश्रा ने भव्य भंडारे का आयोजन किया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। वहीं, नवाबगंज ब्लॉक में ब्लॉक प्रमुख सुमित भूषण सिंह ने भी विशाल भंडारे का आयोजन कर पुण्य कमाया। इन भंडारों में विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन जैसे पूड़ी, सब्जी, चावल, कढ़ी, छोले और हलवा भक्तों को वितरित किए गए।
स्थानीय सामाजिक संस्थाओं और स्वयंसेवकों ने इन आयोजनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने पूरी व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित किया और भक्तों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इसका विशेष ध्यान रखा। युवाओं की टीमों ने कतार व्यवस्था, पानी वितरण और प्रसाद वितरण में सक्रिय रूप से सहयोग किया, जिससे आयोजन सफल रहा।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, पुलिस प्रशासन अलर्ट
आयोजन स्थलों पर किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा, जिससे भीड़ को नियंत्रित करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिली। पुलिस की मुस्तैदी के चलते पूरे आयोजन शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए।
गोंडा में बड़े मंगलवार का यह विशेष धार्मिक महत्व दर्शाता है कि कैसे आस्था और भक्ति के साथ लोग एकजुट होकर ऐसे आयोजनों में भाग लेते हैं। पूरे जिले में भक्ति और उत्साह का माहौल रहा, जो इस बात का प्रमाण है कि आध्यात्मिक परंपराएं आज भी समाज के ताने-बाने का एक अभिन्न अंग हैं।
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