जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक LLB छात्र द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि न्यायालय से महत्वपूर्ण तथ्य छुपाना एक गंभीर अपराध है और यह न्यायिक प्रक्रिया के साथ धोखे के समान है। न्यायालय ने इस व्यवहार को 'हाइड एंड सीक गेम' (छुपम-छुपाई का खेल) जैसा बताते हुए छात्र की अपील को अस्वीकार कर दिया।
मामले में एक कानून के छात्र ने कोर्ट में अपील दायर की थी, लेकिन सुनवाई के दौरान यह सामने आया कि छात्र ने कुछ आवश्यक तथ्यों को जानबूझकर छुपाया था, जो कि केस की निष्पक्षता पर सीधा असर डालते थे।
कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता ने पूर्व की कार्यवाही और आदेशों की जानकारी को जानबूझकर नहीं बताया, जिससे यह प्रतीत होता है कि वह कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश कर रहा था।
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा:
"तथ्य छुपाना केवल एक तकनीकी गलती नहीं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया के प्रति अवमानना है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट की ईमानदारी और पारदर्शिता की भावना को ठेस पहुंचाई है।"
कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि कानून के विद्यार्थी होने के नाते याचिकाकर्ता को कानून की गरिमा और अदालत की प्रक्रियाओं का बेहतर ज्ञान होना चाहिए।
कोर्ट ने यह निर्णय सिर्फ याचिका खारिज करने तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि LLB जैसे पेशेवर पाठ्यक्रम से जुड़े छात्रों के लिए यह चेतावनी भी दी कि यदि वे अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हैं या जानबूझकर तथ्य छुपाते हैं, तो उनके कानूनी करियर पर भी असर पड़ सकता है।
इस फैसले ने साफ कर दिया है कि न्यायालय में पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा सर्वोच्च हैं। तथ्यों को छुपाकर याचिका दायर करना केवल अस्वीकार्य ही नहीं, बल्कि दंडनीय भी है। यह निर्णय अन्य कानून छात्रों और वकीलों के लिए एक महत्वपूर्ण नैतिक और कानूनी संदेश है कि अदालत से कुछ भी छिपाना न्याय के साथ विश्वासघात है।
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