गौरतलब है कि एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने 31 मई 2024 को सयुंक्त निदेशक दीपक अग्रवाल को 25 हजार रुपये घूस लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। आरोप था कि उसने एक कार्मिक से काम करवाने या आदेश देने की एवज में रिश्वत मांगी थी।
जमानत आदेश खारिज करते हुए विशेष न्यायालय ने किया कि भ्रष्टाचार एक कैंसर जैसा है, जो धीरे-धीरा शासन व्यवस्था और जनसेवा की नींव खोखली करता जाता है। इसका प्रभाव मात्र शासन तक ही नहीं रहता, इसका असर आम लोगों पर अधिक होता है, जो न्याय, सुविधाओं और कल्याण कार्यक्रमों से वंचित रह जाते हैं।
गौरतलब रहे कि एंटी करप्शन ब्यूरो ने शिकायत मिलने पर जाल बिछाकर अभियुक्त दीपक अग्रवाल को रंगे हाथ घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था। उनके कब्जे से घूस की रकम भी बरामद हुई थी, जिसके बाद उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं तहत मामला दर्ज किया गया था।
कोर्ट ने आदेश दिया कि लोकसेवा अधिकाऱियों की जिम्मेदारी जनहित की रक्षा करना है, न कि घूसखोरी या अवैधानिक धन अर्जित करना। आदेश ने साफ किया कि इस तरह के मामले राज्य की शासकीय व्यवस्था पर गहरा असर डाल रहे हैं, इसलिए आरोपियों पर सख्त कार्रवाई किया जाना जरूरी है।
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