जयपुर। राजस्थान में खाद बनाने वाली कंपनियों की अनियमितताओं का जो मामला अभी छापेमारी के बाद सुर्खियों में आया है, वह दरअसल जनवरी 2025 में ही पकड़ में आ गया था। इसके बावजूद कृषि विभाग ने ना कोई ठोस कार्रवाई की और ना ही दोषियों पर शिकंजा कसा, बल्कि जांच आदेश जारी करने वाले अधिकारी को ही निलंबित कर दिया गया।
यह खुलासा तब हुआ जब हाल ही में कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने किशनगढ़ क्षेत्र में खाद कंपनियों पर छापा मारा और बड़ी मात्रा में मानकों के विपरीत खाद और कच्चा माल जब्त किया।
सूत्रों के अनुसार, जनवरी 2025 में कृषि विभाग के एक जिम्मेदार अधिकारी ने कंपनियों की संदिग्ध गतिविधियों पर जांच के आदेश दिए थे। इसके तहत जो रिपोर्ट सामने आई, उसमें कई कंपनियों पर मानकों से कम गुणवत्ता की खाद बनाने, कच्चे माल में मिलावट और फर्जी रजिस्ट्रेशन जैसे गंभीर आरोप पाए गए।
लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की बजाय जांच आदेश देने वाले अधिकारी को ही निलंबित कर दिया गया, जिससे पूरे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने हाल ही में किशनगढ़ में अचानक निरीक्षण किया। इस छापेमारी में कई कंपनियों में नकली या मिलावटी खाद मिलने की पुष्टि हुई। मंत्री ने कहा कि:
“किसानों के साथ धोखा करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। विभाग के भीतर बैठे दोषी अधिकारी भी जांच के दायरे में आएंगे।”
इस पूरे मामले में यह भी आशंका जताई जा रही है कि कुछ बड़े अधिकारियों और राजनीतिक दबाव के चलते कंपनियों पर कार्रवाई टाल दी गई थी। अब जब मामला सार्वजनिक हो चुका है, विभाग अपनी छवि बचाने के लिए आंतरिक जांच और नए निलंबन आदेशों की तैयारी कर रहा है।
राज्य के कई किसान संगठनों ने विभाग की लापरवाही को लेकर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई होती, तो किसानों को नुकसान नहीं होता और खाद के दाम भी नियंत्रण में रहते।
निष्कर्ष:
खाद बनाने वाली कंपनियों की गड़बड़ी कोई अचानक हुई घटना नहीं है। इसकी नींव जनवरी 2025 में ही पड़ गई थी, जब पहली बार गड़बड़ियों के संकेत मिले। लेकिन विभागीय निष्क्रियता और राजनीतिक संरक्षण के चलते यह मामला दबा रहा। अब जब मंत्री ने खुद संज्ञान लिया है, उम्मीद की जा रही है कि दोषियों पर जल्द और कठोर कार्रवाई होगी।
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