सुबह 8 बजे से 10 बजे तक, एसएन मेडिकल कॉलेज की ओपीडी, आईपीडी, ट्रॉमा वार्ड और अन्य सभी प्रमुख विभागों में डॉक्टरों ने चिकित्सा सेवाएं रोक दीं। इस दौरान सैकड़ों मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंचे लेकिन उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ा।
हड़ताल में शामिल रेजिडेंट डॉक्टर्स ने प्रशासन से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि—
“डॉ. राकेश की आत्महत्या किसी व्यक्तिगत कारण से नहीं, बल्कि संस्थागत मानसिक प्रताड़ना के कारण हुई है। जब तक उच्चस्तरीय जांच नहीं होती और दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, हम शांत नहीं बैठेंगे।”
मेडिकल कॉलेज प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने रेजिडेंट डॉक्टरों से हड़ताल न करने की अपील की, लेकिन आक्रोशित डॉक्टरों ने 2 घंटे का कार्य बहिष्कार कर प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जा सकते हैं।
मूल रूप से बाड़मेर निवासी डॉ. राकेश विश्नोई, एसएन मेडिकल कॉलेज में पीजी कर रहे थे। सोमवार को उन्होंने संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या कर ली। परिजनों और दोस्तों का आरोप है कि वह लंबे समय से मानसिक दबाव में थे और कॉलेज में उन्हें पर्याप्त सहयोग नहीं मिल रहा था।
रेजिडेंट डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार का सीधा असर आम जनता पर पड़ा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों से आए मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाया। इस संवेदनशील मामले पर सरकार की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, जिससे नाराजगी और बढ़ गई है।
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर 48 घंटे में उच्चस्तरीय जांच कमेटी नहीं बनाई गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों में व्यापक आंदोलन शुरू होगा।
निष्कर्ष:
रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल एक गंभीर स्वास्थ्य संकट की ओर इशारा करती है। यह सिर्फ एक आत्महत्या का मामला नहीं, बल्कि चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में व्याप्त तनाव, असंवेदनशीलता और दबाव के विरुद्ध उठी आवाज है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेता है।
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