नई दिल्ली में आज बिम्सटेक (BIMSTEC) विदेश मंत्रियों की बैठक होने वाली है। इसमें शामिल होने के लिए थाईलैंड के विदेश मंत्री मारिस सांगियाम्पोंगसा और भूटान के विदेश मंत्री डी. एन. धुंग्येल दिल्ली पहुंच गए हैं। ये बैठक दो दिन चलेगी। इसमें श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, नेपाल और भूटान के विदेश मंत्री शामिल होंगे।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक इस बैठक में सुरक्षा, दूरसंचार, व्यापार और आपसी सहयोग पर बातचीत होगी। इसकी मेजबानी विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर करेंगे। विशेषज्ञों की मानें तो इससे भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करेगा।
क्या है BIMSTEC ?
बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (BIMSTEC) बंगाल की खाड़ी से सटे हुए देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। इसमें सात देश शामिल हैं। पाकिस्तान को इससे अलग रखा गया है।
इस संगठन का उद्देश्य तीव्र आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने और साझा हितों के मुद्दों पर समन्वय स्थापित करने के लिए सदस्य देशों के बीच सकारात्मक वातावरण बनाना है। बैंकॉक डिक्लेरेशन के तहत 1997 में इसे बनाया गया था।
शुरुआत में इसमें चार देश थे और इसे BIST-EC यानी बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग संगठन कहा जाता था। 22 दिसंबर 1997 में म्यांमार को शामिल करने के बाद इसका नाम BIMST-EC हो गया था।
2004 में भूटान और नेपाल को इसमें शामिल किया गया तो इसका नाम BIMSTEC हो गया।
BIMSTEC से भारत को क्या फायदा है?
[Bay of Bengal Initiative on Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation – BIMSTEC] का गठन 6 जून, 1997 को बैंकाक घोषणापत्र के जरिए किया गया था और इसका BIMSTEC का मुख्यालय ढाका, बांग्लादेश में है
भारत BIMSTEC से सार्क (SAARC) में शामिल देशों में अपना दबदबा बनाना चाहता है। SAARC में पाकिस्तान शामिल है, इसलिए सरकार चाहती है कि BIMSTEC को मजबूत बनाया जाए। SAARC दक्षिण एशिया में आपसी सहयोग से शांति और प्रगति हासिल करना चाहता है।
2016 में जब भारत ने ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी की थी तब भी भारत ने सार्क के बजाय BIMSTEC देशों को न्योता दिया था, जिससे उसने दुनिया में पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया था।
पिछले साल 17 जुलाई, 2023 को पहली बार बैंकॉक में BIMSTEC विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी। इस साल सितंबर में थाईलैंड में छठा BIMSTEC शिखर सम्मेलन होना वाला है, जिसमें समुद्री में ट्रेड को लेकर परिवहन सहयोग पर एक समझौते पर मुहर लगाई जाएगी। आज इसी को लेकर बात होने की उम्मीद है, जिससे व्यापार को बढ़ाया जाए।
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