अमेरिका ने जापान में अपने सैन्य कमांड को अपग्रेड करने का ऐलान किया है। दोनों देश मिलकर एक संयुक्त सैन्य कमांड का गठन करेंगे। इस हेडक्वार्टर पर ऑपरेशन और मिशन से जुड़ी जिम्मेदारियां होंगी। इसके तहत दोनों देश US फोर्स जापान को मजबूत करने पर काम करेंगे।
दोनों के बीच इसे लेकर सहमति भी बन गई है। US फोर्स जापान का गठन दूसरे विश्वयुद्ध में जापान के सरेंडर के बाद उसकी सुरक्षा के लिए अमेरिका ने किया था।
दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच हुई 2+2 बैठक के बाद इस फैसले पर मुहर लगी। टोक्यो में हुई इस बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने जापान के विदेश मंत्री योको कामिकावा और रक्षा मंत्री मीनोरू किहारा के साथ मुलाकात की।
दोनों देश सैन्य कमांड को मजबूत करने और अमेरिकी लाइंसेस प्राप्त मिसाइलों के निर्माण करने पर सहमत हुए हैं। ये फैसला जापान के लिए चीन से बढ़ते खतरे के बीच लिया गया है।
चीन के परमाणु कार्यक्रम से परेशान अमेरिका-जापान
अमेरिका और जापान के बयान दिया कि वे चीन के परमाणु हथियारों की बढ़ती संख्या को लेकर चिंतित हैं। दोनों देशों ने कहा कि वे एयर-टू-एयर मिसाइल सिस्टम के उत्पादन को बढ़ाएंगे।
मीटिंग के बाद दोनों देशों ने संयुक्त बयान जारी करते हुए चीन पर अपने फायदे के लिए ग्लोबल ऑर्डर को बदलने की कोशिश आरोप लगाया।
बयान में चीन की नीतियों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र और विश्व समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय बताया गया। साथ ही समंदर में चीन की उकसावे की कार्रवाईयों, रूस के साथ उसके सैन्य अभ्यास और परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ाने को लेकर उसकी आलोचना भी की गई।
जापान में तैनात है 50 हजार अमेरिकी सैनिक
जापान की सुरक्षा के लिए वहां 50 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। लेकिन योकोटा शहर में मौजूद US फोर्सेस जापान के कमांडर के पास इनकी कमान को लेकर कोई अधिकार नहीं होता है। वे केवल कमान के मैनेजमेंट से जुड़े काम ही देख सकते हैं।
ये कमान अमेरिका के हवाई द्वीप पर मौजूद US-इंडोपेसिफिक कमांड के आदेश पर काम करती है। जापान में मौजूद इस कमान की हवाई द्वीप से दूरी लगभग 6500 किमी है। हवाई में समय जापान से 19 घंटे पीछे भी है। फोर्सेस को अपग्रेड करने के फैसले से उनकी क्षमताएं बढ़ेगी, हालांकि उन्हें अभी भी हवाई कमांड को रिपोर्ट करना होगा।
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