शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा के अंतर्गत आर्ष भारत एवं भाषा सत्याग्रह विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद प्राचार्य डॉ. सरोज गुप्ता के मार्गदर्शन में आयोजित किया। जिसमें महाविद्यालय के 50 छात्र-छात्राओं ने ऋषि एवं ऋषिकाओं की वेश-भूषा धारण कर आर्ष भारत की परिकल्पना को जीवंत किया। मुख्य अतिथि शैलेंद्र जैन विधायक ने कहा कि वेद और पुराण का मूल यह है कि हम अकेले भारत का कल्याण नहीं चाहते हैं ये ग्रंथ विश्व कल्याण की भावना के प्रणेता है। ऋषि मुनि केवल ज्ञान के संवाहक नहीं थे, बल्कि समय आने पर महर्षि दधीचि ने जन कल्याण के लिए अपने जीवित शरीर की हड्डियों को इंद्र को दिया। महर्षि अगस्त संस्थानम भोपाल के आचार्य पं प्रभुदयाल मिश्र ने कहा कि हिन्दी भाषा जनपदीय भाषाओं का समुच्चय है। हमें अपनी भाषा का सम्मान तथा अन्य आभाषाओं पर अभिमान होना चाहिए। अदालत की भाषा अंग्रेजी है जबकि जिन का मुकदमा अदालत में चलता है वह हिन्दी भाषी होते है। महंत नरहरिदास वृन्दावन बाग मठ ने कहा कि ब्रह्म रूपी संतान मानव के मानवीयता की शिक्षा देने के लिए होती है। पं. श्रीराम तिवारी ने कहा कि भारत का मूल आर्ष भारत में विद्धमान है और हमे पुन: भारतीय संस्कृति को वैदिक बनाना होगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आशीष द्विवेदी, डॉ. अमर कुमार जैन तथा डॉ. अशोक पन्या ने किया। आभार डॉ. अभिलाषा जैन तथा डॉ. राना कुंजर ने किया। कार्यक्रम में डॉ. गोपा जैन, डॉ. मधु स्थापक, डॉ. रंजना मिश्रा, डॉ. जयकुमार सोनी, डॉ. संगीता मुखर्जी, डॉ. प्रतिभा जैन, डॉ. इमराना सिद्दीकी, डॉ. शुचिता अग्रवाल, डॉ. दीपक जॉनसन, डॉ. संदीप सबलोक, डॉ. संदीप तिवारी, डॉ. अंकुर गौतम एवं डॉ. जयनारायण सहित 500 विद्यार्थी उपस्थित थे।
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