भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (9 मार्च) को कहा कि देश में समानता बनाए रखने के लिए भाईचारा बहुत जरूरी है। संविधान की भावना के मुताबिक हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। अगर लोग आपस में लड़ेंगे तो देश तरक्की कैसे करेगा। CJI चंद्रचूड़ बीकानेर के हमारा संविधान, हमारा सम्मान कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
चीफ जस्टिस ने ये भी कहा कि संविधान निर्माताओं की सोच थी कि मानवीय गरिमा का स्थान सबसे ऊपर है। बाबा साहेब अंबेडकर ने सुनिश्चित किया था कि संविधान में न्याय के मूल्य, स्वतंत्रता और समानता के साथ भाईचारे की भावना और व्यक्ति की गरिमा कायम रहे।
जूनियर को भी सम्मान दें:
बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में न्याय मंत्रालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सीजेआई ने कहा कि अक्सर मैं देखता हूं कि लोग अपने से जूनियर को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखते। अपने ड्राइवर से ढंग से बात नहीं करते। लोग सोचते हैं कि ड्राइवर छोटा है। सफाई करने वाले को हीन भावना से देखते है। कोई भी व्यक्ति पद में छोटा हो सकता है] लेकिन उस व्यक्ति की भी उतनी ही गjfमा है, जितनी कि हमारी है। सर्वोच्च न्यायालय में एक पोस्ट है- जिसको 1950 से जमादार कहते थे। 75 साल से इन्हें जमादार कहा जा रहा था, अब इनका नाम बदल दिया है।
लोकतंत्र और संविधान में संबंध:
सीजेआई ने कहा कि लोकतंत्र और संविधान के बीच संबंध है। संविधान की समझ, लोकतंत्र की समझ को भी विकसित करती है। हर शख्स को संविधान की बात पहुंचाने की जरूरत है। संविधान की भावना को हर नागरिक तक पहुंचाना होगा।
स्थानीय भाषा में होना चाहिए फैसला:
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- देश के किसी भी कोर्ट में स्थानीय भाषा में फैसला होना चाहिए। अगर मैं दिल्ली में बैठकर कोई निर्णय वकील के लिए, जज के लिए दे रहा हूं तो वो कठिन भाषा में हो सकता है
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